बाबा जयगुरुदेव बता रहे हैं कि इस शरीर में जीवात्मा के आने का जो रास्ता है, वही जाने का भी है। जीवात्मा इस मनुष्य शरीर में जो थोड़े दिनों के लिए बैठाई गई है, वो नाम के... यानी शब्द के सहारे उतारी गई है और जब वापस जाएगी तो इसी नाम की डोर को पकड़ कर ही जाएगी; एक ही रास्ता आने का और एक ही रास्ता जाने का है, दो रास्ते न कभी हुए न कभी होंगे लेकिन आपसे वो डोरी छूट गई तो आप उसको भूल गए और पकड़ नहीं पाते हो और कोई आपको जानकार भी नहीं मिला, जो आपको वो डोरी पकड़ा दे तो आप बस भूले हुए बैठे हो ऐसे ही ये मनुष्य शरीर व्यर्थ चला जाएगा।
Baba Jaigurudev |
महात्मा कहते हैं कि बचो बचो श्वांसे ख़त्म हो रही हैं थोड़ा जीवन बचा है इसमें अपना काम कर लो नहीं तो इसके छूटते ही फिर तुम जा रहे हो नरकों और चौरासी की तरफ लेकिन तुम बात को सुनते ही नहीं हो। बाबा जयगुरुदेव कह रहे हैं कि - "तुम बचो बचो मनुष्य शरीर में जीवात्मा को बचाओ नहीं तो जा रहे हो। तो आप सुनते ही नहीं हो कोई कुछ कह रहा है। ये देश आपका नहीं है। वो तो अपना घर तो छोड़ दिया। उसका रास्ता है। इसी मनुष्य शरीर से आने का भी है और जब वापस जाओगे तो उसी रास्ते से जाओगे। दो रास्ते न कभी हुए न कभी होंगे। वो नाम से शब्द से पकड़ करके आए हो। और दोनों आँखों के पीछे बैठ गए, और सामने डोरी लटकी हुई है शब्द की, नाम की ; बीच में गंदगी जमा हो गई... डोरी छूट गई, बस इतना ही है। उसने लटका रखी है डोरी आपके सामने, ये नहीं कि डोरी कहीं चली गई, सामने ही है... और सामने डोरी होते हुए नहीं पकड़ पाते हो आप.. तो क्यों ऐसा नहीं होता... क्योंकि कोई भेदी नहीं मिलता। जानकार नहीं मिलता। जिसने डोरी पकड़ ली हो और वो आपकी जो बिछुड़े हुए हो उस डोरी को पकड़ा के चढ़ा देगा नाम से।